बृहदारण्यकोपनिषद् (Brihadaranyak-Upanishad)
- Brand: Gitapress Gorakhpur
- Product Code: GP-0577
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यह उपनिषद् यजुर्वेद की काण्वीशाखा में वाजसनेय ब्राह्मण के अन्तर्गत है।
कलेवर की दृष्टि से यह समस्त उपनिषदों की अपेक्षा बृहत् है तथा अरण्य (वन)
में अध्ययन किये जाने के कारण इसे आरण्यक भी कहते हैं। वार्त्तिककार
सुरेश्वराचार्य ने अर्थतः भी इस की बृहत्ता स्वीकार की है। विभिन्न
प्रसंगों में वर्णित तत्त्वज्ञान के इस बहुमूल्य ग्रन्थरत्न पर भगवान्
शंकराचार्य का सबसे विशद भाष्य है।